It is very powerful stotra, whatever written in it, it does all the things, like it can remove disease and negative energies from life. It should be read at least seven times. If you have too much problems in your life, I think then it should be chanted for 11K times. Or in extreme case do 11K for four times.
WARNING! Chanting it for three or seven times is okay, but before chanting this in extreme, one must awaken Shiv Amogh Kavach first or any other Kavach of Lord Shiva, to protect oneself. And always do these kinds of stotra in an expert guidance.
श्री नीलकंठ अघोरास्त्रा स्तोत्र
ॐ नमो नीलकण्ठाय श्वेत शरीराय नमः। सर्पमालाऽलंकृत भूषणायनमः । भुजंग परिकराय नागयज्ञोपवीतायनमः। अनेक कालमृत्यु विनाशनाय नमः । युग युगान्त काल प्रलय प्रचण्डाय नमः । ज्वलन्मुखाय नमः। दंष्ट्रा कराल घोररूपाय नमः । हुं हुं हुं फट् स्वाहा ज्वालामुख मन्त्र करालायनमः। प्रचण्डार्क सहस्त्रांशु प्रचण्डाय नमः। कर्पूरामोदपरिमलाङ्ग सुगन्धिताय नमः। इन्द्रनील महानील वज्रवैडूर्य मणि माणिक्य मुकुट भूषणायनमः। श्री अघोरास्त्रमूलमन्त्राय नमः ॐ ह्रां स्फुर स्फुर ॐ ह्रीं स्फुर स्फुर ॐ ह्रूम स्फुर स्फुर अघोर घोरतररूपाय नमः। रथ रथ तत्र तत्र चट चट कह कह मद मद मदनदहनाय नमः। श्री अघोरास्त्र मूल मन्त्राय नमः । ज्वलन मरणभय क्षय हूँ फट् स्वाहा। अनन्तघोरज्वर मरणभय कुष्ठ व्याधि विनाशनाय नमः । शाकिनी डाकिनी ब्रह्मराक्षस दैत्य दानव बन्धनाय नमः । अपस्मार भूत वेताल कूष्माण्ड सर्वग्रह विनाशनाय नमः । मन्त्राकोष्ठ करालाय नमः । सर्वापद् विच्छेदाय नमः । हुं हुं फट् स्वाहा। आत्म मन्त्र सुरक्षणाय नमः । ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूम नमो भूत डामर ज्वाला वश भूतानां द्वादश भूतानां त्रयोदश भूतानां पञ्चदशडाकिनीनां हन हन दह दह नाशय नाशय एकाहिक द्वयाहिक चतुराहिक पञ्चाहिक व्याप्ताय नमः । आपादानत सन्निपात वातादि हिक्का कफादि कास श्वासादिकं दह दह छिन्धि छिन्धि श्री महादेव निर्मित स्तम्भन मोहन वश्याकर्षणोच्चाटन कीलन उद्वासन इति षट्कर्म विनाशनाय नमः । अनन्त वासुकि तक्षक कर्कोटक शंखपाल विजयपद्म महापद्म एलापत्र नाना नागानां कुलकादि विषं छिन्धि छिन्धि भिन्धि भिन्धि प्रवेशय प्रवेशय शीघ्रं शीघ्रं हुं हुं फट् स्वाहा । वात ज्वर मरण भय छिन्न छिन्न हन हन भूतज्वर प्रेतज्वर पिशाचज्वर रात्रिज्वर शीतज्वर सन्निपातज्वर बालज्वर ग्रहज्वर कुमारज्वर तापज्वर ब्रह्मज्वर विष्णुज्वर महेशज्वर आवश्यकज्वर कामाग्नि विषमज्वर मरीचिज्वरादि प्रथम दण्डधराय नमः । परमेश्वराय नमः। आवेशय आवेशय शीघ्रं शीघ्रं हुं हुं फट् स्वाहा । चौर मृत्युग्रह व्याघ्र सर्पादि विषभय विनाशनाय नमः । मोहन मन्त्राणामाकर्षण मन्त्राणां पर विद्या छेदन मन्त्राणाम् ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूम कुलि लीं लीं हूं क्षं कुँ कुँ हुं हुं फट् स्वाहा। नमो नीलकंठाय नमः। दक्षाध्वर हराय नमः । श्री नीलकण्ठाय नमः ।
इति सप्तवारं पठेत् ।
Image credit: Rahuldewangan, Public domain, via Wikimedia Commons |
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