वीणा, पुस्तक, रज्जित हस्ते ॥
भगवती भारत देवी नमस्ते ॥
जय वीणा वादिनी, कमलासना ॥
बुद्धि दायिनी, हंस वाहिनी ब्रह्मसुता ॥
Vasant Panchami is a special festival, ‘coz without goddess Saraswati, there is nothing like wisdom, intellect, music, speech, writing, and other things related to communication. This festival of goddess Saraswati is celebrated on Magha Sudi Panchami, specially in schools, colleges, and universities.
Devi Saraswati Puja on Vasant Panchami
देवी की पूजा करने के लिए धूप, दीप, फल, रोली, फल, मिष्ठान वगैरहा प्रयोग में आते हैं। अगर किसी पुस्तक (विद्या) को पढ़ने में कठिनाई महसूस हो रही हो तो इस दिन उस पुस्तक को देवी सरस्वती के आगे रखकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। देवी की पूजा के लिए अधिकतर पीले रंग की वस्तुयें ही प्रयोग में लानी चाहियें, जैसे की पीले रंग के वस्त्र पहनना, मीठे पीले केसरिया रंग के चावल का भोग देवी को लगाना।
Vasant Panchami ki Katha
ब्रह्माजी ने सृष्टि तो बना दी पर वो मूक(silent) बनी, अब ब्रह्माजी परेशान हो गए की अब क्या करें। क्योकि ऐसी मूक सृष्टि किसी काम की नहीं थी। इस मूकता को खत्म करने के लिए ब्रह्माजी ने अपने कमण्डल में से जल लेकर झिड़का, तभी एक ज्योतिर्मय देवी जाग्रत हो गयी, देवी के हाथ में वीणा थी। ब्रह्माजी ने देवी से सृष्टि की मूकता खत्म करने का आदेश दिया। देवी ने वीणा बजायी, वीणा के स्वर पूरी सृष्टि में व्याप्त हो गये तथा वह शब्दो से चलायमान हो गयी। तभी से देवी सरस्वती को वीणा वादिनी भी कहा जाता है, इनकी कृपा से वाणी, बुद्धि, तेज व ओज प्राप्त होता है।
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