Devi Vindhyavasini is a protective form of Devi Durga, when she protects you — you live life without tension and worries; enemies can’t harm you, you get riches, children, health & long life, you don’t meet with accident & misfortune; and what not you can get due to her grace. Best way to get her grace is to chant Vindhyeshwari Chalisa.
She removes obstacles (at line 3); fulfils wishes (at line 7); removes pain and protects (at line 17); removes misfortune (at line 23); removes debts from life (at line 25); ends diseases from life (at line 27); releases from mental or physical confinement, that is called “Stambhan” in Tantra (at line 29); and if someone doesn't have children she gives them also. Devi Vindhyavasini does everything to her devotee, you get health, wealth and long life as her free gifts — what else you require in your life !
|| दोहा ॥
नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब; सन्तजनों के काज में करती नहीं विलम्ब
॥ चौपाई ॥
१) जय जय विन्ध्याचल रानी, आदि शक्ति जग विदित भवानी ॥
२) सिंहवाहिनी जय जग माता, जय जय जय त्रिभुवन सुखदाता ॥
३) कष्ट निवारिणी जय जग देवी, जय जय जय असुरासुर सेवी ॥
४) महिमा अमित अपार तुम्हारी, शेष सहस मुख वर्णत हारी ॥
५) दीनन के दुःख हरत भवानी, नहिं देख्यो तुम सम कोई दानी ॥
६) सब कर पुरवत माता, महिमा अमित जगत विख्याता ॥
७) जो जन ध्यान तुम्हरो लावे, सो तुरतहि वांछित फल पावे ॥
८) तू ही वैष्णवी तू ही रुद्राणी, तू ही शारदा अरु ब्रह्माणी ॥
९) रमा राधिका श्यामा काली, तू ही मात सन्तन प्रतिपाली ॥
१०) उमा माधवी चण्डी ज्वाला, बेगि मोहि पर होहु दयाला ॥
११) तू ही हिंगलाज महारानी, तू ही शीतला अरु विज्ञानी ॥
१२) दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता, तू ही लक्ष्मी जग सुखदाता ॥
१३) तू ही जाह्रवी अरु उत्राणी, हेमावती अम्बे निरवाणी ॥
१४) अष्टभुजी वाराहिनी देवी, करत विष्णु शिव जाकर सेवी ॥
१५) चौसट्ठी देवी कल्यानी, गौरी मंगला सब गुणखानी ॥
१६) पाटन मुम्बा दन्त कुमारी, भद्रकाली सुन विनय हमारी ॥
१७) वज्रधारिणी शोक विनाशिनी, आयु रक्षिणी विंध्यवासिनी ॥
१८) जया और विजया बैताली, मातु सुगन्धा अरु विकराली ॥
१९) नाम अनन्त तुम्हार भवानी, बरनै किमि मानुष अज्ञानी ॥
२०) जा पर कृपा मात तव होई, तो वह करै चहै मन जोई ॥
२१) कृपा करहु मो पर महारानी, सिद्धि करिए अम्बे मम बानी ॥
२२) जो नर धरै मात कर ध्याना, ताकर सदा होय कल्याना ॥
२३) विपति ताहि सपनेहु नहिं आवै, जो देवी का जाप करावै ॥
२४) जो नर कहं ऋण होय अपारा, सो नर पाठ करै शतबारा ॥
२५) निश्चय ऋण मोचन होई जाई, जो नर पाठ करै मन लाई ॥
२६) अस्तुति जो नर पढ़ै पढ़ावै, या जग में सो अति सुख पावै ॥
२७) जा को व्याधि सतावे भाई, जाप करत सब दूरि पराई ॥
२८) जो नर अति बन्दी महं होई, बार हजार पाठ कर सोई ॥
२९) निश्चय बन्दी ते छुटि जाई, सत्य वचन मम मानहु भाई ॥
३०) जा पर जो कछु संकट होई, निश्चय देविहिं सुमिरै सोई ॥
३१) जो नर पुत्र होय नहीं भाई, सो नर या विधि करे उपाई ॥
३२) पाँच वर्ष सो पाठ करावै, नौरातर में विप्र जिमावै ॥
३३) निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी, पुत्र देहिं ता कहँ गुणखानी ॥
३४) ध्वजा नारियल आनि चढ़ावै, विधि समेत पूजन करवावै ॥
३५) नित्य प्रति पाठ करै मन लाई, प्रेम सहित नहिं आन उपाई ॥
३६) यह श्री विंध्याचल चालीसा, रंक पढ़त होवे अवनीसा ॥
३७) यह जनि अचरज मानहुँ भाई, कृपा दृष्टि ता पर होई जाई ॥
३८) जय जय जय जगमातु भवानी, कृपा करहु मोहिं पर जनजानी ॥
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