Sheetala Mata is supposed to heal Chicken-Pox (which is traditionally called Mata in India) and other skin related disease. Important thing about this deity is, she likes only cold eatables, ‘ coz she is Sheetal (cold) by temperament. I thinks her blessing should be sought not only for skin related problems but for other problems also.
Sheetala Mata Chalisa
|| दोहा ||
जय जय माता शीतला, तुमही धरे जो ध्यान, होय बिमल शीतल हृदय, विकसै बुद्धी बल ज्ञान ॥
घट घट वासी शीतला, शीतल प्रभा तुम्हार, शीतल छइया में झुलई, मइया पलना डार ॥
|| चौपाई ||
१) जय जय जय शीतला भवानी, जय जग जननि सकल गुणखानी ॥
२) गृह गृह शक्ति तुम्हारी राजित, पूरण शरदचंद्र समसाजित ॥
३) विस्फोटक से जलत शरीरा, शीतल करत हरत सब पीरा ॥
४) मातु शीतला तव शुभनामा, सबके गाहे आवही कामा ॥
५) शोकहरी शंकरी भवानी, बाल प्राण रक्षी सुखदानी ॥
६) शुचि मार्जनी कलश कर राजै, मस्तक तेज सूर्य सम साजै ॥
७) चौसट योगिन संग में गावै, वीड़ा ताल मृदंग बजावै ॥
८) नृत्य नाथ भैरो दिखरावै, सहस शेष शिव पार ना पावै ॥
९) धन्य धन्य धात्री महारानी, सुर नर मुनी सब सुयश बखानी ॥
१०) ज्वाला रूप महा बलकारी, दैत्य एक विस्फ़ोटक भारी ॥
११) घर घर प्रविशत कोई न रक्षत, रोग रूप धरी बालक भक्षत ॥
१२) हाहाकार मचो जग भारी, सक्यो न जब संकट टारी ॥
१३) तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा,करमें लिये मार्जनी सूपा ॥
१४) विस्फोटक हिं पकड़ि कर लीन्हो, मुसल प्रहार बहुबिधि कीन्हो ॥
१५) बहु प्रकार वह विनती कीन्हा, मैय्या नहीं भल में कछु चीन्हा ॥
१६) अब नहीं मातु काहू गृह जइहौं, जहँ अपवित्र सकल दुःख हरिहौं ॥
१७) भभकत तन शीतल ह्वै जइहैं, विस्फोटक भयघोर नसइहैं ॥
१८) श्री शीतलहिं भजे कल्याना, वचन सत्य भाषे भगवाना ॥
१९) विस्फोटक भय जिहि गृह भाई, भजै देवी कहँ यही उपाई ॥
२०) कलश शीतला का सजवावै, द्विज से विधिवत पाठ करावै ॥
२१) तुम्हीं शीतला जग की माता, तुम्हीं पिता जग की सुख दाता ॥
२२) तुम्हीं जगद्धात्री सुखसेवी, नमो नमामि शीतले देवी ॥
२३) नमो सुखकरणी दुखहरणी, नमो नमो जगतारणि तारणी ॥
२४) नमो नमो त्रैलोक्य वन्दिनी, दुखदारिद्रादिक निकन्दनी ॥
२५) श्री शीतला, शेढला, महला, रुणली हयुणनी मातु मंदला ॥
२६) हो तुम दिगम्बर तनुधारी, शोभित पंचनाम असवारी ॥
२७) रासभ, खर बैशाख सुनंदन, गर्दभ दुर्वाकन्द निकन्दन ॥
२८) सुमिरत संग शीतला माई, जाहि सकल दुःख दूर पराई ॥
२९) गलका, गलगंडादि जुहोई, ताकर मन्त्र न औषधि कोई ॥
३०) एक मातुजी का आराधन, और नहिं कोई है साधन ॥
३१) निश्चय मातु शरण जो आवै, निर्भय मन इच्छित फल पावै ॥
३२) कोढ़ी, निर्मल काया धारै, अंधा, दृग-निज दृस्टि निहारै ॥
३३) वंध्या नारि पुत्र को पावै, जन्म दरिद्र धनी होई जावै ॥
३४) मातु शीतला के गुण गावत, लखा मूक को छन्द बनावत ॥
३५) यामे कोई करै जनि शंका, जग में मैया का ही डंका ॥
३६) भनत “रामसुंदर” प्रभुदासा, तट प्रयाग से पूरब पासा ॥
३७) पूरी तिवारी मोर मोर निवासा, ककरा गंगा तट दुर्वासा ॥
३८) अब विलम्ब मैं तोहि पुकारत, मातु कृपा कौ बाट निहारत ॥
३९) पड़ा क्षर तब आस लगाई, रक्षा करहु शीतला माई ॥
Sheetala Mata Aarti
१) जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता
2) आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता
3) रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता
4) ऋद्धिसिद्धि मिल चंवर डोलावें, जगमग छवि छाता
५) विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता
६) वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता
७) इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा
८) सूरज ताल बजावै नारद मुनि गाता
९) घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता
१०) करै भक्त जन आरती लखि लखि हर्षाता
११) ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता
१२) भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता
१३) जो भी ध्यान लगावैं प्रेम शक्ति पाता
१४) सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता
१५) रोगों से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता
१६) कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता
१७) बांझ पुत्र को पावे दारिद्र कट जाता
१८) ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछताता
१९) शीतल करती जननी तुही है जग त्राता
२०) उत्पत्ति व्याधि विनाशन तू सब की माता
२१) दास [नारायण] कर जोरी माता
२२) भक्ति आपनी दीजैं और न कुछ भाता
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