Lakshmi is the Goddess of money, gold, vehicle, property, gemstones, health, respect, fame, children, like this she gives her devotees not just this silly money but eight kinds of prosperities in their lives. Money is not just a paper currency issued by government, in context of Goddess Lakshmi it has lots of connotations.
Here is Lakshmi Chalisa to please her and to make your life really really beautiful — she gives prosperity in life and ends enemy trouble ( as she is also the Goddess of Stambhan ) .
॥ दोहा ॥
मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास
मनोकामना सिद्ध करि, पुरवहु मेरी आस
॥ सोरठा ॥
यही मोर अरदास हाथ जोड़ विनती करूँ
सबविधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका
॥ चौपाई ॥
१) सिंधु सुत मैं सुमिरौं तोहि, ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोही ॥
२) तुम समान नहीं कोई उपकारी, सब विधि पुरबहु आस हमारी ॥
३) जय जय जय जननी जगदम्बा, सबकी तुम ही हो अवलम्बा ॥
४) तुम ही हो सब घट घट की वासी, विनती यही हमारी खासी ॥
५) जग जननी जय सिंधु कुमारी, दीनन की तुम हो हितकारी ॥
६) बिनवौं नित्य तुमहिं महारानी, कृपा करौ जग जननि भवानी ॥
७) केहि विधि स्तुति करौं तिहारी, सुधि लीजै अपराध बिसारी ॥
८) कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी, जगजननी विनती सुन मोरी ॥
९) ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता, संकट हरो हमारी माता ॥
[ She gives wisdom, intellect, happiness and removes problems. ]
१०) क्षीर सिन्धु जब विष्णु मथायो, चौदह रत्न सिन्धु में पायो ॥
११) चौदह रत्न में तुम सुख़रासी, सेवा कियो प्रभु बनि दासी ॥
१२) जब जब जन्म प्रभु जहाँ लीन्हा, रूप बदल तहं सेवा कीन्हा ॥
१३) स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा, लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा ॥
१४) तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं, सेवा कियो हृदय पुलकाहीं ॥
१५) अपनाया तोहि अन्तर्यामी, विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी ॥
१६) तुम सम प्रबल शक्ति नहिं आनि, कहं लौ महिमा कहौं बखानी ॥
१७) मन क्रम वचन करै सेवकाई, मन इच्छित वांछित फल पाई ॥
१८) तजि छल कपट और चतुराई, पूजहिं विविध भाँती मनलाई ॥
[ Goddess Lakshmi should be worshiped in Sattvik form. ]
१९) और हाल मैं कहौं बुझाई, जो यह पाठ करै मन लाई ॥
२०) ताको कोई कष्ट न होई, मन इच्छित पावै फल सोई ॥
२१) त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणी, त्रिविधि ताप भव बंधन हारिणी ॥
२२) जो यह चालीसा पढ़े पढ़ावे, ध्यान लगाकर सुनै सुनावै ॥
२३) ताको कोई न रोग सतावै, पुत्रादि धन सम्पत्ति पावै ॥
[ Removes diseases, gives children and money. ]
२४) पुत्रहीन अरु संपत्ति हीना, अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना ॥
२५) विप्र बोलाय कै पाठ करावै, शंका दिल में कभी न लावै ॥
२६) पाठ करावै दिन चालीसा, ता पर कृपा करैं गौरीसा ॥
[ If you’ve immediate problem, chant this Lakshmi Chalisa for 40 days. ]
२७) सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै, कमी नहीं काहु की आवै ॥
[ She gives prosperity in her devotee’s life. ]
२८) बारह मास करै जो पूजा, तेहि सम धन्य और नहिं दूजा ॥
[ She should be worshiped year after year for continuous blessings. ]
२९) प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं, उन सम कोई जग में कहुं नाहीं ॥
३०) बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई, लेय परीक्षा ध्यान लगाई ॥
३१) करि विश्वास करै व्रत नेमा, होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा ॥
३२) जय जय जय लक्ष्मी भवानी, सब में व्यापित हो गुण खानी ॥
३३) तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं, तुम सम कोउ दयालु कहुँ नाहि ॥
३४) मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै, संकट काटि भक्ति मोहिं दीजै ॥
३५) भूल चूक करि क्षमा हमारी, दर्शन दीजै दशा निहारी ॥
३६) केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई, ज्ञान बुद्धि मोहि नहिं अधिकाई ॥
३७) बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी, तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी ॥
३८) नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में, सब जानत हो अपने मन में ॥
३९) रूप चतुर्भुज करके धारण, कष्ट मोर अब करहुँ निवारण ॥
॥ दोहा ॥
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास ।
जयति जयति जय लक्ष्मी, करो दुश्मन का नाश ॥
“रामदास” धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर ।
मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर ॥
In this ending Doha, you may use your name in place of “Ramdas”; it also tells Lakshmi Chalisa is written by Ramdas.
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