Gorakhnath is one of the most popular from Nath Sampradaya. He was uneducated means no formal knowledge of Sanskrit language, what he did for Mantras, he created Mantras in very ordinary language, they were called Shabar Mantras. Though other people also created Shabar Mantras, but when you think about these kind of Mantras Gorakhnath first come to the mind. Many people consider him the avatar of Shiva, and worship like that — he is supposed to be immortal, and worshiped as a Guru as well as a Deity. Below are his Chalisa and Aarti.
Shri Gorakhnath Chalisa
|| दोहा॥
गणपति गिरजा पुत्र को सुमिरु बारम्बार , हाथ जोड़ बिनती करू शारद नाम आधार॥
|| चोपाई॥
1) जय जय जय गोरख अविनाशी , कृपा करो गुरुदेव प्रकाशी ॥
2) जय जय जय गोरख गुण ज्ञानी , इच्छा रूप योगी वरदानी ॥
3) अलख निरंजन तुम्हरो नामा , सदा करो भक्त्तन हित कामा ॥
4) नाम तुम्हारो जो कोई गावे , जन्म जन्म के दुःख मिट जावे ॥
5) जो कोई गोरख नाम सुनावे , भूत पिसाच निकट नहीं आवे||
6) ज्ञान तुम्हारा योग से पावे , रूप तुम्हारा लख्या न जावे ॥
7) निराकार तुम हो निर्वाणी , महिमा तुम्हारी वेद न जानी ॥
8) घट – घट के तुम अंतर्यामी , सिद्ध चोरासी करे परनामी ॥
9) भस्म अंग गल नांद विराजे, जटा शीश अति सुन्दर साजे ॥
10) तुम बिन देव और नहीं दूजा , देव मुनिजन करते पूजा ॥
11) चिदानंद संतन हितकारी , मंगल करण अमंगल हारी ॥
12) पूरण ब्रह्मा सकल घट वासी , गोरख नाथ सकल प्रकाशी॥
13) गोरख गोरख जो कोई धियावे , ब्रह्म रूप के दर्शन पावे॥
14) शंकर रूप धर डमरू बाजे , कानन कुंडल सुन्दर साजे ॥
15) नित्यानंद है नाम तुम्हारा , असुर मार भक्तन रखवारा ॥
16) अति विशाल है रूप तुम्हारा , सुर नर मुनि जन पावे न पारा ॥
17) दीनबंधु दीनन हितकारी , हरो पाप हम शरण तुम्हारी॥
18) योग युक्ति में हो प्रकाशा, सदा करो संतान तन बासा॥
19) प्रात : काल ले नाम तुम्हारा, सिद्धि बढे अरु योग प्रचारा॥
20) हठ हठ हठ गोरछ हठीले , मर मर वैरी के कीले॥
21) चल चल चल गोरख विकराला, दुश्मन मार करो बेहाला॥
22) जय जय जय गोरख अविनाशी, अपने जन की हरो चोरासी ॥
23) अचल अगम है गोरख योगी , सिद्धि दियो हरो रस भोगी ॥
24) काटो मार्ग यम को तुम आई, तुम बिन मेरा कोन सहाई॥
25) अजर अमर है तुम्हारी देहा , सनकादिक सब जोरहि नेहा ॥
26) कोटिन रवि सम तेज तुम्हारा , है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥
27) योगी लखे तुम्हारी माया , पार ब्रह्म से ध्यान लगाया ॥
28) ध्यान तुम्हारा जो कोई लावे , अष्ट सिद्धि नव निधि पा जावे ॥
29) शिव गोरख है नाम तुम्हारा , पापी दुष्ट अधम को तारा ॥
30) अगम अगोचर निर्भय नाथा, सदा रहो संतन के साथा॥
31) शंकर रूप अवतार तुम्हारा , गोपीचंद, भरथरी को तारा ॥
32) सुन लीजो प्रभु अरज हमारी , कृपासिन्धु योगी ब्रहमचारी ॥
33) पूर्ण आस दास की कीजे , सेवक जान ज्ञान को दीजे ॥
34) पतित पवन अधम अधारा , तिनके हेतु तुम लेत अवतारा ॥
35) अखल निरंजन नाम तुम्हारा , अगम पंथ जिन योग प्रचारा ॥
36) जय जय जय गोरख भगवाना, सदा करो भक्त्तन कल्याना॥
37) जय जय जय गोरख अविनाशी , सेवा करे सिद्ध चोरासी ॥
38) जो यह पढ़े गोरख चालीसा , होए सिद्ध साक्षी जगदीशा॥
39) हाथ जोड़कर ध्यान लगावे , और श्रद्धा से भेंट चढ़ावे ॥
40) बारह पाठ पढ़े नित जोई , मनोकामना पूर्ण होई ॥
॥ दोहा ॥
सुने सुनावे प्रेम वश, पूजे अपने नाथ, मन इच्छा सब कामना, पुरे गोरखनाथ ॥
अगम अगोचर नाथ तुम, पारब्रह्म अवतार, कानन कुण्डल सिर जटा, अंग विभूति अपार ॥
सिद्ध पुरुष योगेश्वरो, दो मुझको उपदेश, हर समय सेवा करूँ, सुबह शाम आदेश ॥
Shri Gorakhnath Aarti
१) जय गोरख देवा जय गोरख देवा ॥
२) कर कृपा मम ऊपर नित्य करूँ सेवा ॥
३) शीश जटा अति सुंदर भाल चन्द्र सोहे ॥
४) कानन कुंडल झलकत निरखत मन मोहे ॥
५) गल सेली विच नाग सुशोभित तन भस्मी धारी ॥
६) आदि पुरुष योगीश्वर संतन हितकारी ॥
७) नाथ नरंजन आप ही घट घट के वासी ॥
८) करत कृपा निज जन पर मेटत यम फांसी ॥
९) रिद्धी सिद्धि चरणों में लोटत माया है दासी ॥
१०) आप अलख अवधूता उतराखंड वासी ॥
११) अगम अगोचर अकथ अरुपी सबसे हो न्यारे ॥
१२) योगीजन के आप ही सदा हो रखवारे ॥
१३) ब्रह्मा विष्णु तुम्हारा निशदिन गुण गावे ॥
१४) नारद शारद सुर मिल चरनन चित लावे ॥
१५) चारो युग में आप विराजत योगी तन धारी ॥
१६) सतयुग द्वापर त्रेता कलयुग भय टारी ॥
१७) गुरु गोरख नाथ की आरती निशदिन जो गावे ॥
१८) विनवित बाल त्रिलोकी मुक्ति फल पावे ॥
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alka, 2019/10/30 at 5:24 am [ Thank full job ]
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