Durga Chalisa is a boon for Shakti Upasak, when you chant this Chalisa you not only chant her name but chant also the name of Bala, Shiv, Shankar, Brahma, Vishnu, Saraswati, Narsimha, Lakshmi, Narayan, Matangi, Dhoomavati, Bhuvneshwari, Baglamukhi, Bhairav, Tara, Chhinmasta, Maha-Kali, Nagarkot wali Devi, Jwala Mai, and others.
She is widely worshipped Goddess in India; as Shivalinga is must for a temple, her Sthapana is also very essential — yes without lord Hanuman too, a temple doesn’t become complete. In sum up, Shiva, Durga and Hanuman are must-must for a Hindu temple.
During Navratri days, if you can’t read whole Durga Saptsati, chanting this Chalisa is also considered good.
There are various advantages of chanting Durga Chalisa, few are as, #) removing obstacles, #) ending conflicts with enemies, #) in getting her blessings, #) to become spiritually more powerful, #) to get her darshan, and so on.
Apart from chanting everyday — it should be chanted before starting a journey or going outside, before doing any new work, before sleeping to remove bad dreams and to get a good sleep. And you can chant it when you are restless, you are worried about something and don’t know what to do in life.
Here it is:
१) नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ॥
२) निरंकार है ज्योति तुम्हारी, तिहुं लोक फैली उजियारी ॥
३) शशि ललाट मुख महा विशाल, नेत्र लाल और भृकुटि विकराला ॥
४) रूप मातु को अधिक सुहावे, दरश करत जन अति सुख पावे ॥
५) तुम संसार शक्ति लय कीना, पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
६) अन्नपूर्णा हुई जग पाला, तुम ही आदि सुंदरी बाला ॥
७) प्रलयकाल सब नाशन हारी, तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ॥
८) शिव योगी तुम्हारे गुण गावें, ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥
९) रूप सरस्वती को तुम धारा, दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥
१०) धरा रूप नरसिंह को अम्बा, प्रगट भई फाड़ कर खम्बा ॥
११) रक्षा करि प्रह्लाद बचायो, हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो ॥
१२) लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं, श्री नारायण अंग समाही ॥
१३) क्षीर सिंधु में करत विलासा, दया सिंधु दीजै मन आसा ॥
१४) हिंगलाज में तुम्हीं भवानी, महिमा अमित न जात बखानी ॥
१५) मातंगी अरु धूमावति माता, भुवनेश्वरी बगला सुखदाता ||
१६) श्री भैरव तारा जग तारिणी, छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥
१७) केहरि वाहन सोह भवानी, लांगुर वीर चलत अगवानी ॥
१८) कर में खप्पर खड्ग विराजे, जोको देख काल डर भाजे ॥
१९) सोहे अस्त्र और त्रिशूला, जाते उठत शत्रु हिय शूला ||
२०) नगर कोटि में तुम्हीं विराजत, तिहुं लोक में डंका बाजत ||
२१) शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे, रक्त बीज शंखन संहारे ||
२२) महिषासुर नृप अति अभिमानी, जेहि अध भार मही अकुलानी ॥
२३) रूप कराल कालिका धारा, सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥
२४) परी गाढ़ सन्तन पर जब जब, भई सहाय मातु तुम तब तब ॥
२५) अमरपुरी अरु बासव लोका, तब महिमा सब रहे अशोका ॥
२६) ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी, तुम्हें सदा पूजें नर नारी ॥
२७) प्रेम भक्ति से जो यश गावें, दुःख दरिद्र निकट नहिं आवे ॥
२८) ध्यावै तुम्हें जो नर मन लाई, जन्म मरण ताको छुटि जाई ॥
२९) जोगी सुर मुनि कहत पुकारी, योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥
३०) शंकर आचारज तप कीनो, काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥
३१) निशिदिन ध्यान धरो शंकर को, काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥
३२) शक्ति रूप को मरम न पायो, शक्ति गई तब मन पछतायो ॥
३३) शरणागत हुई कीर्ति बखानी, जय जय जय जगदम्बा भवानी ॥
३४) भई प्रसन्न आदि जगदम्बा, दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥
३५) मोको मातु कष्ट अति घेरो, तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो ॥
३६) आशा तृष्णा निपट सतावे, मोह मदादिक सब विनशावै ॥
३७) शत्रु नाश कीजै महारानी, सुमिरों इकचित तुम्हें भवानी ॥
३८) करो कृपा हे मातु दयाला, ऋद्धि सिद्धि दे करहु निहाला ॥
३९) जब लगि जियौं दया फल पाऊँ, तुम्हारो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
४०) दुर्गा चालीसा जो नित गावै, सब सुख भोग परम पद पावै ॥
४१) “देवीदास” शरण निज जानी, करहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥
॥ दोहा ॥
शरणागत रक्षा करे भक्त रहे निशंक, मैं आया तेरी शरण में, मातु लीजिए अंक ॥
Note: Here at line 41, देवीदास refers two meanings — a) a person’s name, b) servant of devi, दास = servant. I would say, opt for b) ‘coz you can chant as it is ; but if you opt for a) you need to change this name with your name.
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