मृत पूर्वजो का इतर योनि (Itar Yoni) से उद्धार करने के लिए कुँवारी कन्याये ये त्यौहार मनाती हैं।
This festival is celebrated on the first Chhath (6th day) in Bhadon month. This festival is for unmarried girls, this day लकड़ी के तख्ते पर रोली से स्वास्तिक (सतिया) बनाकर तथा पानी के लोटे पर सात (७) बिंदिया बनाकर, साथ में ही एक गिलास में गेहूं भरकर उसके ऊपर कुछ पैसे रखे जाते हैं। इसके बाद सभी लोग हाथ में सात-सात (७-७) गेहूं दाने लेकर व्रत की कथा (जोकि निचे है) सुनते है। कहानी सुनाते समय एक जग पानी भी भरकर रख लेते हैं, बाद में खाना उसी में पकाया जाता है। तथा जल का जो लोटा होता है उससे चन्द्रमा को अर्घ्य देते है तथा हाथ में लिए गेहूं को दान लिए रख देते हैं।
It was the procedure of Puja, some girls also observe Vrat (fast) this day — though observing Vrat is independent choice, it is not forced.
Udyapan Vidhi
Unmarried girls celebrate this Vrat and Puja and do Udyapan after their marriage (in the same year in which they get married). Udyapan Vidhi is same, as above mentioned Puja — just cook extra पकवान, और पूजा के बाद सबको भोजन कराओ तथा घर में बड़े लोगो के पैर छूकर आशीर्वाद लो। तथा मृत पूर्वजो के नाम का खाना पशु पक्षियों को कराओ, उनके पानी पीने के लिए बड़ा सा जल का पात्र रखो।
Katha Of Chana Chhath
मृत्यु उपरांत एक आदमी बैल बना तथा उसकी पत्नी कुतिया, और वो अपने हे पुत्र के यँहा रहते थे (ये बात उनके पुत्र को मालूम नहीं थी), बैल खेत जोतता तथा कुतिया घर के देखभाली। एक दिन पुत्र ने ज्योतिषो से अपने माँ-बाप के बारे में पूंछा, तो उन्होंने बताया की माँ कुतिया के रूप में है तथा बाप बैल के रूप में। साथ ही ज्योतिषो ने उनकी उस योनि से मुक्ति का उपाय भी बताया। वो ये था की अगर उस पुत्र की पुत्री, चाना छठ का व्रत विधि विधान से रखती है तो उनको उस योनि से मुक्ति मिल जाएगी। तभी से छाना छठ मनाया जाता है।
Comments:
Samiksha Kaushik, 2017/09/19 at 1:07 pm [Great story. I was not at all aware of the reason behind this Chhath celebration. Very beautiful story. I will spread this story around my surroundings so that everyone can understand its significance. Thanks ]
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