पौष सुदी तीज को ब्रह्म गौरी पूजन किया जाता है, इस दिन माता गौरी की विधिवत प्रेम से व भक्तिपूर्वक पूजा होती है तथा उनके नाम पर मन्त्र जाप, हवन, दान, दक्षिणा इत्यादि भी होती है। इस दिन व्रत व पूजा अधिकतर स्त्रिया ही रखती है।
जो माँ की इस प्रकार विधिपूर्वक पूजा करतीं हैं, माँ उनके कष्टो का निवारण करके उन्हें सदबुद्धि देती है जिससे वो जीवन की समस्याओ में उचित निर्णय ले पाती है। तथा ऐसा भी कहा जाता है माँ समय समय पर विभिन्न रूपो में उनका मार्गदर्शन भी करती हैं।
गौरी माँ हो या अन्य सब एक ही रूप से अवतरित हैं, तो जब भी मौका मिले देवी माँ की पूजा से नहीं चूकना चाहिए, त्योहारों के अतिरिक्त भी उनके याद रखना चाहिए उनके नाम का दिया जलाना चाहिए तथा देवी भागवत का अध्ययन करना चाहिए।
माँ को प्रसन्न रखने के लिए नवरात्री का सबसे अच्छा मौका होता है, ये साल में चार (४) पड़ती हैं, जिसमे से दो (२) जन साधारण में प्रचलित है बाकि की दो इतनी ज्यादा प्रचलित नहीं है लेकिन उनका महत्त्व भी उतना ही है, ये दो गुप्त नवरात्री के नाम से जानी जाती है एक देवी साधक को इनको कभी भी नहीं भूलना चाहिए।
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